अय्यूब 41
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version
41 “अय्यूब बतावा, का तू लिब्यातान क कउनो मछरी क काँटा स धइ सकत ह
का तू एकर जिभ क रसी स बंध सकत ह?
2 अय्यूब, का तू लिव्यातान क नाक मँ नकेल डाइ सकत हया
ओकरे जबड़न मँ काँटा फँसाइ सकत ह
3 अय्यूब, का तू लिव्यातान क अजाद होइके बरे तोहसे बिनती करी?
का उ तोहसे मीठी मीठी बातन करीं?
4 अय्यूब, का तू लिब्यातान तोहसे सन्धि करी
अउर सदा तोहरी सेवा क तोहका वचन देइ?
5 अय्यूब, का तू लिब्यातान क वइसे ही खेलब्या जइसे तू कउनो चिड़िया स खेलत ह
का तू ओका रस्सा स बँधब्या जेहसे तोहार दासियन ओहसे खेल सकइँ।
6 अय्यूब, का तू मछुआरा लिब्यातान क तोहसे बेसहइ क कोसिस करिहीं?
का उ पचे ओका कटिहीं अउर ओनका बइपारियन क हाथे बेचि सकहीं?
7 अय्यूब, का तू लिब्यातान क खाल मँ अउर माथे पइ भाला फेंक हमला कइ सकत ह?
8 “अय्यूब, लिब्यातान पइ अगर तू हाथ डावा तउ जउन भयंकर जुदध होइ,
तू कबहुँ भी बिसाहि नाहीं पउब्या अउर फुन तू ओहसे कबहुँ जुद्ध न करब्या।
9 अउर अगर तू सोचत ह कि तू लिब्यातान क पकड़ सकत ह, तउ इ बात क तू भूल जा।
काहेकि ओका पकड़इ बरे कउनो आसा नाहीं अहइ।
तू तो बस ओका लखइ भर सही डेराइ जाब्या।
10 कउनो भी एतना वीर नाहीं अहइ,
जउन लिब्यातान क जगाइके भड़कावइ।
“तउ फुन अय्यूब बतावा, मोरे विरोध मँ कउन टिक सकत ह!
11 कउनो भी मनई जउन कि मोहे स मुकाबला करह उ सुउच्छित नाहीं रब्या।
सारे अकासे क खाले जउन कछू भी अहइ, उ सब कछू मोर ही अहइ।
12 “अय्यूब मइँ तोहका लिब्यातान क सक्ती क बारे मँ बताउब।
मइँ ओकर सक्ती अउर रुप क सोभा क बारे मँ बताउब।
13 कउनो भी मनई ओकर बाहरी आवरण (खाल) क भेद नाहीं सकत।
ओकर खाल दोहरी कवच क नाई अहइ।
14 लिव्यातान क कउनो भी मनई मुँह खोलइ बरे मजबूर नाहीं कइ सकत ह।
ओकरे भी जबडे क दाँत सबहिं क भयभीत करत हीं।
15 लिव्यातान क पिठिया पइ ढालन क कतार होत हीं,
जउन आपुस मँ जुड़ी होत हीं।
16 इ सबइ ढालन आपुस मँ एँतनी सटी होत हीं
कि हवा तलक ओहमाँ प्रवेस नाहीं कइ पावत ह।
17 इ सबइ ढालन एक दूसर स जुड़ी होत हीं।
उ सबइ मजबूती स एक दूसरे स जुड़ी भई अहइ कि कउऩो भी ओनका उखाड़िके अलग नाहीं कइ सकत।
18 लिव्यातान जब छींकत ह तउ अइसा लागत ह जइसे बिजली सी कौधं गइ होइ।
आँखी ओकर अइसी चमकत हीं जइसे कउनो तेज प्रकास होइ।
19 ओकरे मुँहना स बरत भइ मसान निकरत हीं,
अउर ओहसे आगी क चिनगारियन बिखत हीं।
20 लिब्यातान क नथुनन स धुआँ अइसा नकरत ह,
जइसे उबलत भइ हाँड़ी स भाप निकलत होइ।
21 लिब्यातान क फूँक स कोयला सुलग उठत हीं
अउर ओकरे मुँहे स लपक निकरत हीं।
22 लिब्यातान क गटई बड़ी जबरदस्त अहइ,
अउर लोग ओसे उरिके दूर पराइ जात हीं।
23 ओकरे खाल मँ कहीं भी कोमल जगह नाहीं अहइ।
उ लोहा क तरह कठोर अहइ।
24 लिब्यातान क हिरदइ चट्टान क तरह होत ह।
ओकर हिरदइ चक्की क नीचे क पाट क तरह सख्त अहइ।
25 लिब्यातान स सरगदूत भी डर जात हीं।
लिब्यातान जब पूँछ फटकारत ह, तउ ओन सबइ भाग जात हीं।
26 लिब्यातार पइ जइसे ही भालन,
तीर अउ तरवार पड़त हीं उ सबइ उछरिके दूर होइ जात ह।
27 लोहा क मोटी छड़न क उ तिनका जइसा
अउर काँसा क सड़ी लकड़ी क तरह तोड़ देत ह।
28 बाण लिब्यातान क नाहीं भगाइ पावत हीं।
ओह पइ पाथर फेंकना, एक सुखा तिन्का फेंकन क नाई अहइ।
29 लिब्यातान पइ जब मुगदर पड़त ह तउ ओका अइसा लागत ह माना उ कउनो बिनका होइ।
जब लोग ओह पइ भालन फेंकत हीं, तब उ हँसा करत ह।
30 विब्यातान क पेट क नीचे सिरा टूटा भए मट्टी क बासन क नाई तेज अहइ।
जब उ चलत ह तउ कीचड़ मँ अइसा निसान छोड़त ह माना कि खेतन मँ हेगा लगावा गवा होइ।
31 लिब्यातान पानी क अइसे मथत ह, माना कउनो हाड़न उबलत होइँ।
उ अइसे बुलबुले बनावत ह माना बासन मँ खउलत भवा तेल होइ।
32 लिब्यातान जब सागर मँ तैरत ह तउ आपन पीछे उ सफेद झागन जइसी राह छोड़त ह,
जइसे कउनो उज्जर बारे क सफेद बिसाल पूँछ होइ।
33 लिब्यातान सा कउनो अउर जन्तु धरती पइ नाहीं अहइ।
उ अइसा पसु अहइ जेका निडर बनावा गवा।
34 उ हर एक घमण्डी जानेबर क ऊपर नजर रखत ह
सबहिं जंगली पसुअन क उ राजा अहइ।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.