मत्तियाह 7:21-29
Saral Hindi Bible
वास्तविक शिष्य
(लूकॉ 6:46-49)
21 “मुझे प्रभु, प्रभु सम्बोधित करता हुआ हर एक व्यक्ति स्वर्ग-राज्य में प्रवेश नहीं पाएगा परन्तु प्रवेश केवल वह पाएगा, जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी करता है. 22 उस अवसर पर अनेक मुझसे प्रश्न करेंगे, ‘प्रभु, क्या हमने आपके नाम में भविष्यवाणी न की, क्या हमने आपके ही नाम में प्रेतों को न निकाला और क्या हमने आपके नाम में अनेक आश्चर्यकाम न किए?’ 23 मैं उनसे स्पष्ट कहूँगा, ‘मैं तो तुम्हें जानता भी नहीं. दुष्टो! चले जाओ मेरे सामने से!’
24 “इसलिए हर एक की तुलना, जो मेरी इन शिक्षाओं को सुन कर उनका पालन करता है, उस बुद्धिमान व्यक्ति से की जा सकती है, जिसने अपने भवन का निर्माण चट्टान पर किया. 25 आँधी उठी, वर्षा हुई, बाढ़ आई और उस भवन पर थपेड़े पड़े, फिर भी वह भवन स्थिर खड़ा रहा क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर थी. 26 इसके विपरीत हर एक जो, मेरी इन शिक्षाओं को सुनता तो है किन्तु उनका पालन नहीं करता, वह उस निर्बुद्धि के समान होगा जिसने अपने भवन का निर्माण रेत पर किया. 27 आँधी उठी, वर्षा हुई, बाढ़ आई, उस भवन पर थपेड़े पड़े और वह धराशायी हो गया—भयावह था उसका विनाश!”
28 जब येशु ने यह शिक्षाएं दीं, भीड़ आश्चर्यचकित रह गई 29 क्योंकि येशु की शिक्षा-शैली अधिकारपूर्ण थी, न कि शास्त्रियों के समान.
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